बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
अध्याय - 4
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएँ : संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण, आधुनिकीकरण,
धर्मनिरपेक्षतावाद, वैश्वीकरण, संकीर्णतावाद व सार्वभौमीकरण
(Processes of Social Change : Sanskritization, Westernization, Modernisation,
Secularization, Globalization, Parochialisation and Universalisation)
प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1 संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण की सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
संस्कृतिकरण किसे कहते हैं? संस्कृतिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
अथवा
संस्कृतिकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर -
भारत में सम्पूर्ण विभाजन वर्ण व्यवस्था के आधार पर किया जाता है सम्पूर्ण वर्ण व्यवस्था चार भागों में विभाजित है -
(1) ब्राह्मण
(2) क्षत्रिय
(3) वैश्य
(4) शूद्र।
इनमें ब्राह्मणों को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है उसके बाद क्षत्रिय, वैश्य तथा अन्त में शूद्र का स्थान आता है इस वर्ण व्यवस्था में प्रत्येक वर्ग अपने से ऊँचे वर्ण के कार्य रीति-रिवाजों तथा गुणों का अनुसरण करके अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास करते हैं इसी व्यवस्था को संस्कृतिकरण के नाम से जाना जाता है।
समाजशास्त्र में संस्कृतिकरण की संकल्पना को लाने का श्रेय डॉ० एम० एन० श्रीनिवास को है इन्होंने . इसके द्वारा भारतीय जाति प्रथा की संरचना में होने वाले परिवर्तनों को समझाने का प्रयास किया। संस्कृतिकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत निम्न जाति के व्यक्ति उच्च जाति की स्थिति पर पहुँचने तथा उस जाति के संस्कारों व जीवन के ढँग को अपनाते हैं, अन्य शब्दों में जाति प्रथा जन्म पर आधारित होती है। मजूमदार व मदान के अनुसार जाति एक बन्द वर्ग है मजूमदार ने बन्द शब्द का प्रयोग इस अर्थ में किया है कि जाति में ऊपर से नीचे तथा नीचे से ऊपर जाने की कोई प्रक्रिया नहीं होती।
केतकर के अनुसार “जाति के सदस्यता केवल उन व्यक्तियों तक ही सीमित होती है जो उस जाति विशेष के व्यक्तियों के घर पैदा होते हैं।” इसी प्रकार एन० के० दत्ता ने कहा जन्म एक मनुष्य की जाति को सारी उम्र के लिए निश्चित करता है, केवल जाति के नियमों को तोड़ने के कारण उसे जाति से बहिष्कृत किया जाता है अन्यथा एक जाति से दूसरी जाति में जाना सम्भव नहीं होता है।
संस्कृतिकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत निम्न जाति के व्यक्ति उच्च जाति की विशेषताओं को ग्रहण करते हैं संस्कृतिक- रण की व्याख्या डॉ० एम० एन० श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक Social Change in Modern India में दी है।
संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न हिन्दू जाति या कोई जनजाति अथवा अन्य समूह किसी उच्च और प्रायः द्विज जाति की दिशा में अपने रीति-रिवाज, कर्मकाण्ड, विचारधारा और जीवन पद्धति में बदलता है।
श्रीनिवास के अनुसार संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई निम्न हिन्दू जाति या कोई जन- जाति अथवा अन्य समूह किसी उच्च और प्रायः द्विज जाति की दिशा में अपने रीति-रिवाज, कर्मकाण्ड, विचारधारा और जीवन पद्धति को बतलाता है आमतौर पर ऐसे परिवर्तनों के बाद वह जाति परम्परागत संस्तरण में, उसे जो स्थान मिला हुआ है उससे ऊँचे स्थान का दावा करने लगता है साधारणतः बहुत दिनों तक बल्कि वास्तव में एक दो पीढ़ियों तक दावा किये जाने के बाद ही उसे स्वीकृति मिलती है कभी-कभी कोई जाति ऐसे स्थान की माँग करने लगती है जिसे उसके पड़ोसी मानने को तैयार नहीं होते
"Sanskritization is the process by which a low Hindu caste or tribal or other group changes its customs, rithals, idealogy and way of life in the direction of a high and frequently, twice born caste. Generally such changes are followed by a claim to a higher position in the caste hierarchy than that traditionally conceded to the claimant caste by the local community. The claim is usually made over a period of time in fact, a generation or two, before the arrival is concended."
- M. N. Srinivas.
संस्कृतिकरण वास्तव में संस्कृति या संस्कृत शब्द से सम्बन्धित है। संस्कृतिकरण के द्वारा सामाजिक संर- चना में ऊँचे पद या स्थिति का दावा किया जाता है। यही व्यवस्था जनजातीय समाजों में भी पायी जाती है। संस्कृति- करण के अन्तर्गत मुख्य रूप से ब्राह्मण जाति के और सामान्य रूप से द्विज जातियों को निम्न जातियों, जनजातियों तथा अन्य सामाजिक समूहों के सदस्य आदर्श रूप में स्वीकार किये जाते हैं।
डॉ० श्रीनिवास के अनुसार, ब्राह्मण के अतिरिक्त क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र आदर्श की संस्कृतिकरण के आदर्श हो सकते हैं
संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाएँ
संस्कृतिकरण में अनेक सहायक अवस्थायें पाई जाती हैं जो निम्न हैं-
(1) आधुनिक शिक्षा (Modern Education) - प्राचीन काल में शिक्षा का मूल आधार धार्मिक था तथा शिक्षा देने का कार्य ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है जिससे वर्ण धर्म को बल मिलता था परन्तु अंग्रेजों के शासन काल में शिक्षा का आधार समानता था सभी व्यक्ति सामान्य रूप से शिक्षा का प्रयोग करते हैं तथा इसके माध्यम से समाज में उच्च पद प्राप्त करते थे इससे जातीय सिद्धान्तों का क्षय हुआ। शिक्षा का आधार व्यक्ति की योग्यताओं को बढ़ाना माना जाने लगा। वर्तमान समय में शिक्षा ने समानता को जन्म दिया तथा जातियों के विभाजन को समाप्त किया। प्रत्येक व्यक्ति अपने योग्यता के आधार पर सामाजिक तथा व्यक्तिगत उपलब्धि पा सकता है। समाज में सभी व्यक्तियों को सभी पद ग्रहण करने का अधिकार है अतः कहा जा सकता है कि संस्कृतिकरण की प्रक्रिया के विकास में आधुनिक शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है।
(2) नगरों का विकास ( Development of Cities) - नगरों के विकास के कारण भी संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का विकास हुआ, नगरों में सभी जातियों के व्यक्ति रहते हैं वहाँ किसी को कोई भी व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता तथा व्यक्ति जाति के प्रति भी सचेत नहीं होते। अधिकांश व्यक्ति इसका लाभ उठाकर स्वयं को ऊँची जाति का व्यक्ति बनाकर समाज के सामने पेश करते हैं अन्य व्यक्ति उसकी बात को सत्य मानते हैं जिसमें निम्न जाति के व्यक्ति भी उच्च जाति के लोगों के साथ रहते हैं तथा उनके मूल्यों को भी अपना लेते हैं नगर के लोग अधिक खोजबीन पर ध्यान नहीं देते व उन्हें स्वीकार कर लेते हैं जिससे संस्कृतिकरण होती है।
( 3 ) यातायात और संचार के साधनों में वृद्धि (Development of Means of Transport and Communication) - संचार के साधनों के विकास के कारण सामाजिक गतिशीलता का उदय हुआ है तथा नये-नये नगर, उद्योग व कार्य के अवसरों का उदय हुआ है जिस कारण कई व्यक्ति अपने मूल निवास स्थान को छोड़कर कार्य करने के लिए यहाँ रहने आ जाते हैं विभिन्न धर्म जाति तथा परिवेश से आये व्यक्ति साथ रहते तथा खाते-पीते हैं इससे जाति-पाँति की कठोरता समाप्त होती है व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया को बल मिलता है।
( 4 ) धन का महत्व (Importance of Money) प्राचीन भारत में धर्म को प्रधानता दी जाती थी परन्तु वर्तमान समय में व्यक्ति भौतिकवादी बनता जा रहा है व उसने आध्यात्मिक रास्ते से हटकर धन को सर्वस्व मान लिया है व्यक्ति की पहचान उसकी सामाजिक स्थिति (Status) के आधार पर की जाती है धनी व्यक्ति का सभी आदर करते हैं व उसके रहन-सहन का अनुसरण करते हैं। इसी कारण प्रत्येक व्यक्ति अपनी योग्यता, शिक्षा तथा कुशलता के बल पर धन कमाने का प्रयास करता है। क्योंकि धनी व्यक्ति की जाति कोई नहीं पूछता है।
(5) राजनीतिक सत्ता (Political Authority) - वर्तमान समय में प्रजातन्त्र का राज है प्रजातन्त्र में सभी व्यक्तियों को मत देने का अधिकार है। राजकार्यों में सम्मिलित होने का अधिकार है व्यक्ति चाहे किसी भी जाति का हो वह राजनीतिक सत्ता को प्राप्त कर सकता है तथा एक बार सत्ता में आने के बाद अन्य व्यक्ति उनका समर्थन करते हैं इस प्रकार राजनीतिक सत्ता भी संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में सहायक है।
(6) सामाजिक तथा धार्मिक आन्दोलन (Social and Religious Movement) - सामाजिक तथा धार्मिक आन्दोलनों के कारण भी संस्कृतिकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा मिला है उदाहरण के लिए भक्ति आन्दोलन के कारण निम्न जाति के व्यक्ति भी नेता बन गये। इसी से गाँधी जी द्वारा चलाया गया हरिजन आन्दोलन के फलस्वरूप हरिजनों को समाज में विशेष स्थान मिला व उन्होंने समाज में अपनी स्थिति मजबूत बनाई। आर्य समाज आन्दोलन तथा धार्मिक आन्दोलनों के द्वारा भी निम्न जातियों को समाज में उच्च दर्जा दिलाने का प्रयास किया गया जिससे संस्कृतिकरण को बढ़ावा मिला।
(7) सामाजिक अधिनियम (Social Legislations) - सामाजिक अधिनियमों ने भी संस्कृतिकरण की प्रक्रिया में विकास किया अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955 के अन्तर्गत अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया तथा कहा गया कि अछूत जातियों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव अपराध होगा तथा कानून इसके लिए दण्ड देगा इसी प्रकार विशेष विवाह अधिनियम (1954) (The Special Marriage Act 1954) ने अन्तर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन दिया। संक्षेप में कहा जा सकता है कि संस्कृतिकरण में अनेक सहायक अवस्थाओं के चलते वर्तमान समय में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया समस्त स्थानों पर व्याप्त है।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
- प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास क्या है?
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
- प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?